“4 Months Later… Dhankhar Finally Speaks! इशारों में कही BIG बात”

अजमल शाह
अजमल शाह

उप-राष्ट्रपति पद छोड़ने के चार महीने बाद आखिरकार जगदीप धनखड़ ने अपनी पहली पब्लिक स्पीच दी। स्थान—भोपाल। मौका—RSS के जॉइंट सेक्रेटरी मनमोहन वैद्य की किताब ‘हम और यह विश्व’ का विमोचन। और माहौल—“मैं कुछ कहना चाहता हूँ… पर कह नहीं सकता” वाला।

जी हाँ, धनखड़ ने अपने इस्तीफे पर सीधे कुछ नहीं कहा, लेकिन इशारों में आधा देश समझ गया।

“Flights भी पकड़नी हैं, पर Duty भी नहीं भूलता” — धनखड़ का तंज वाला बयान

स्पीच के दौरान उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा— “समय की कमी थी, गला खुल नहीं पाया… लेकिन फ्लाइट छूटने की चिंता में भी मैं अपना कर्तव्य नहीं भूलता। मेरा अतीत इसका उदाहरण है। पर अपने मन की बात पूरी नहीं बोल सकता।”

यानी साफ शब्दों में बोले तो “मैं सब बता सकता हूँ… लेकिन बताऊँगा नहीं।”
(सियासी भाषा का क्लासिक मास्टरी!)

उनका यह बयान फिर से उस सवाल को हवा देता है— धनखड़ ने उप-राष्ट्रपति पद अचानक क्यों छोड़ा?

RSS पर खुलकर तारीफ—“भारत ही रास्ता दिखाएगा दुनिया को”

धनखड़ अपनी स्पीच के इस हिस्से में सबसे ज़्यादा क्लियर थे।

उन्होंने कहा— दुनिया की उथल-पुथल में भारत ही मार्गदर्शन दे सकता है। भारत की 6000 साल पुरानी सभ्यता दुनिया का आधार बन सकती है। RSS में देश को और मजबूत करने की क्षमता है। RSS पर बनते “myths” को यह किताब तोड़ती है। यानी इस मंच पर उन्होंने RSS को ओपन एंड स्ट्रॉन्ग एप्रूवल दिया।

“Narrative की दुनिया में जी रहे लोग”—धनखड़ का तर्क

धनखड़ ने आज के सोशल मीडिया-एरा पर भी तंज कसा, लोग पहले जज करते हैं फिर narrative बना लेते हैं फिर चाहे सफाई देते रहो… उन्हें फर्क नहीं पड़ता।

ये बात उन्होंने किसके लिए कही, यह उन्होंने नहीं बताया— लेकिन पब्लिक की कल्पना शक्ति काफी तेज है।

धनखड़ का इस्तीफा: अब भी एक अनसुलझी पहेली

धनखड़ के अचानक इस्तीफे की वजह पर अभी भी रहस्य है। उन्होंने मानसून सत्र से पहले कदम पीछे खींचे थे। कौन सा दबाव था?
क्या अंदरूनी राजनीति?
या पोस्ट-इंस्टिट्यूशनल मतभेद?

स्पीच ने इन सभी सवालों को और ज्यादा मसालेदार बना दिया।

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